इस मंदिर में मौजूद है भगवान श्री कृष्ण की मृत्यु का राज!




अगर मानो तो हर चीज एक रहस्य है... ऐसा ही एक रहस्य जुड़ा है भारत के एक प्राचीन व मशहूर तीर्थ से। जगन्नाथ पुरी हिंदू धर्म के चार धामों में से एक है और यहां भगवान विष्णु साक्षात विराजमान हैं। जगन्नाथ मंदिर से जुड़ी एक कथा इसे और रहस्मय बना देती है।


लोगों की यह प्रबल मान्यता है कि मंदिर में भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा के अंदर ब्रह्माजी का वास है। जब श्रीकृष्ण ने धरती पर अवतार लिया तब उनकी शक्तियां अलौकिक थीं लेकिन शरीर तो मानव का ही था, जो नश्वर था। जब धरती पर उनकी लीला की अवधि संपूर्ण हुई तो वे देह त्यागकर स्वधाम चले गए। पांडवों ने उनकी देह का दाह संस्कार कर दिया। इस दौरान उनका दिल अग्नि से जलता रहा। 


पांडवों ने इसे जल में प्रवाहित कर दिया। तब यह लट्ठे के रूप में परिवर्तित हो गया। यह लट्ठा राजा इंद्रद्युम्न को मिल गया। उनकी भगवान जगन्नाथ में आस्था थी। वे उसे ले आए और भगवान जगन्नाथ की मूर्ति के अंदर स्थापित कर दिया। तब से वह यहीं है। हालांकि 12 वर्ष के बाद भगवान की मूर्ति बदली जाती है लेकिन लट्ठा अपरिवर्तित रहता है।


इस लट्ठे से जुड़ी एक और दिलचस्प बात यह है कि मंदिर के पुजारियों ने भी इसे नहीं देखा है। जब मूर्ति परिवर्तित की जाती है तो वे आंखों पर पट्टी बांधते हैं और हाथ कपड़े से ढंक दिया जाता है। 


पुजारी न तो इसे देख पाते हैं और न ही स्पर्श कर सकते हैं। उनके मुताबिक, यह बहुत कोमल है। जो कोई इसे देख लेगा, उसके प्राणों को खतरा है और उसकी मौत भी हो सकती है।




source - rajsathan patrika

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